दो विदुषियों के सहयोग से अब कासगंज का वातावरण भी होगा वेद और संस्कृत सूत्रों से गुंजायमान।
दो विदुषियों के सहयोग से अब कासगंज का वातावरण भी होगा वेद और संस्कृत सूत्रों से गुंजायमान।
आईएएस की दो परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली जिस बेटी ने धर्म और वेदों की रक्षा के लिए वाल्यकाल में ही छोड़ दिया था घर, स्वामी रामदेव भी जिनका करते हैं सम्मान।
कासगंज की वो दो बेटियां आचार्या धारणा याज्ञिकी व आचार्या सूर्या चतुर्वेदा अब कासगंज में स्थापित करने जा रहीं हैं कन्या गुरुकुल।
(अमित तिवारी) कासगंज। अब कासगंज का वातावरण भी वेद और संस्कृत के सूत्रों से गुंजायमान होने वाला है, आपको यह जानकर बेहद हर्ष होगा कि कासगंज जनपद के गाँव प्रह्लादपुर में एक आवासीय कन्या गुरुकुल स्थापित होने जा रहा है,
चारों वेदों में पारंगत कासगंज की दो बेटियां आचार्या धारणा याज्ञिकी व आचार्या सूर्या चतुर्वेदा अब कासगंज में एक वैश्विक स्तर का कन्या गुरुकुल खोलने जा रहीं।
जानकारी के अनुसार इस कन्या गुरुकुल का नाम श्रीमती चन्द्रावती कन्या गुरुकुल संस्कृत विद्यापीठ रखा गया है, जिसमें पारम्परिक शिक्षा के साथ साथ वालिकाओं को कक्षा 6 से परास्नातक तक धर्म और वेदों की शिक्षा भी प्रदान की जाएगी,
आप सोच रहे होंगे कि कासगंज जैसे पिछड़े इलाके प्रह्लादपुर में इस वैदिक कन्या गुरुकुल खोलने के निर्णय के पीछे का क्या विशेष कारण रहा होगा, तो हम आपको इस बारे में विस्त्रत बताने जा रहे हैं, दरअसल दशकों पूर्व इस प्रह्लादपुर गांव में एक लाखन सिंह नाम के विद्वान् हुआ करते थे जिन्होंने उस दौर में धर्म और वेदों की रक्षार्थ जीवन पर्यंत अनेक प्रयास किये और आज से तीन दशक पूर्व उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण भी गवां दिए, साठ के दशक में लाखन सिंह जी ने अपनी दो बेटियों सूर्या व् धारणा को धर्म और वेदों की शिक्षा दीक्षा के लिए वाराणसी के श्री जिज्ञासु पाणिनि कन्या महाविद्यालय में भेज दिया, पांच वर्ष की अवस्था में घर छोड़कर गयीं दोनों बेटियां सूर्या व् धारणा की आयु अब पचास वर्ष से अधिक हो चुकी है, धर्म वेद संस्कृत और नारी जाति के उत्थान के लिए जीवन के सभी भौतिकी सुख आनंद को त्यागने वालीं व् समस्त भारत वर्ष में सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करने वालीं कासगंज में जन्मीं यह दोनों बेटियां आचार्या धारणा याज्ञिकी व आचार्या सूर्या चतुर्वेदा अब कासगंज जनपद मुख्यालय के निकटवर्ती ग्राम प्रह्लादपुर में श्रीमती चन्द्रावती कन्या गुरुकुल संस्कृत विद्यापीठ के नाम से एक गुरुकुल खोलने जा रहीं हैं। वर्तमान में राजस्थान के सिरोही जनपद में भी आचार्या धारणा याज्ञिकी व आचार्या सूर्या चतुर्वेदा के सहयोग से एक कन्या गुरुकुल संचालित किया जा रहा है। स्वामी रामदेव के साथ भारतवर्ष के अधिकतर संत महात्मा जो कि आचार्या धारणा याज्ञिकी व आचार्या सूर्या चतुर्वेदा की विद्वता कायल हैं।
आपको बताते चलें कि अपने गुरुकुल अध्ययन काल के दौरान आचार्या धारणा याज्ञिकी ने आईएएस की दो परीक्षा भी पास करलीं थीं, परन्तु गुरु माता डॉ प्रज्ञा देवी व डॉ मेधा देवी की आज्ञा का अनुसरण करते हुए व् धर्म वेद संस्कृत और नारी जाति के सम्मान हेतु लिए गए प्रण के विचार से आचार्या धारणा याज्ञिकी ने आईएएस का अंतिम साक्षात्कार तक छोड़ दिया।
हमारे कासगंज जनपद का सौभाग्य है कि त्याग की मूरत यह दोनों विदुषियां अब हमारे सांस्कृतिक वैदिक नैतिक व् नारी जाति के उत्त्थान के लिए एक कन्या गुरुकुल स्थापित करने जा रहीं हैं,
निश्चित रूप से आचार्या धारणा याज्ञिकी व आचार्या सूर्या चतुर्वेदा का यह प्रयास हमारे वालिकाओं के जीवन उत्थान में एक बड़ा प्रयास सिद्ध होगा।
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